अहमियत पानी की!
बहती आँखों से गिरता, थम गया पानी!
मेरे हर गम-ए-दर्द से, इतना डर गया पानी!
जिससे थी उम्मीद,
कि वो,
आँखों को नम न करेगा!
वही अपनी यादों से,
आँखों में मेरी,
भर गया पानी!
उसकी आँखें,
कभी किसी दर्द से भर जाती जब,
कर जाती दिल पे असर,
बे-दर्द वोपानी!
बर्बाद हो गया,
हर वो बसा शहरों-जहाँ !
जब तेज तूफान में,
हद से ज्यादा बढ़ गया पानी!
प्यासी जमीं भी झूम कर,
खिलखिलाने लगी!
आसमां से जब,
सूखी जमीं पर उतर गया पानी!
शर्म आती नहीं,
अब उन गुनाहगारों को!
जिनकी आँखों में,
हैवानियत का,
घर कर गया पानी!
- रेखा रुद्राक्षी।