रोशनी!
अकेले जिन्दगी का सफर कटता नहीं!
पर ये भी सच है हर कोई,
हमसफ़र बनता नहीं!
क्या हुआ जो
जिन्दगी तन्हा कट रही?
क्या अकेला दिया,
कमरे को रोशन करता नहीं?
तेरी कमी ,
आज़ फिर आंखों में
नमी- सी लगती है!
आज़ फिर तेरी
कमी- सी लगती है!
वफ़ा करके भी क्यूँ ,
हम तन्हा रह गये?
दुनिया में हो गई,
मोहब्बत कि कमी- सी लगती है!
- रेखा रुद्राक्षी।