बेवफा वक़्त!
अकेलें जिन्दगी का सफर काट लेतें!
मुस्कुरातें हुए, हर पल बीत जाता!
यूँ तन्हाइयों की आदत न होती!
जो तू मेरा हमसफ़र बन जाता!
शिकायतें करें भी तो किससे?
न तुम बेवफा, न हम बेवफा!
बस, ये बेवफा वक्त बदल जाता!
दास्तां- ए- ज़िन्दगी,
हर दर्द कि दास्तां तुम्हारी है!
फिर भी मेरे सब्र का इम्तिहान जारी है!
अकेले सफर कट रहा हैं जिन्दगी का!
और किस्मत की भी कुछ लाचारी हैं!
हम मुस्कुरा रहे हैं अपने हालातों पर!
और दुनिया समझी,
मेरे पास खुशीयां सारी है!
- रेखा रुद्राक्षी।