दोस्ती का सिलसिला!
हो जाये हैरान भी, ये ज़िन्दगी हमें देखकर!
हर दर्द का कुछ इस तरह मजा लिया जायें!
बेशक आ जाये, तूफ़ान उजाड़नें घर मेरा!
पर वही रहकर,
क्यों न अपने आशियाने को बचालिया जाए!
बेशक तेज़ आंधियाँ, लड़खड़ा दें हमारे कदम!
फिर भी क्यों न,उन आंधियों की थपेड़ों को,
एक बार तो झेला जाये?
एहसास तब ही जीवन- संघर्ष का होगा!
जब हौसला हर तूफ़ान से, लड़ने का किया जाए!
तो चलो, चले समंदर की तेज़ लहरों से टकराने!
ज़िन्दगी को पत्थर बना कर,
हर मुश्किल का सामना ,
कुछ इस तरह किया जाए!
- रेखा रुद्राक्षी।