करवटें ज़िन्दगी की!
देखते ही देखते, बदल जाती है ज़िन्दगी!
इन तीन पहरों में , न जाने कितनी करवटें,
बदल जाती है ज़िन्दगी!
पाकर खो देना, खोकर फिर मिल जाना!
वक़्त- बेवक़्त, अनोखे खेल ,
खेल जाती है ज़िन्दगी!
जो सोचा ,वो मिला नहीं, जो मिला, वो कभी सोचा नहीं!
कभी कभी अपनी सोच से भी परे,
क्या कुछ दे जाती है ज़िन्दगी!
ख़ुशी में गम,गम में ख़ुशी,
हर लम्हे में आ जाती है, आँखों में नमी!
अजीब- सी कश्मकश में, कई बार बीत जाती है ज़िन्दगी!
कोई चुप रहकर सब कुछ सह जाता है!
तो कोई कहकर अपनी बात भी
तन्हा रह जाता है!
उलझनों से घिरी क्यों रहती है, हर बार ये ज़िन्दगी?
कभी समझे, तो कभी नहीं समझे,
हम हालातों को,इसी उधेड़बुन में , कई बार बिखर जाती है ज़िन्दगी!
कभी जब सोचने बैठते है,
क्या -क्या गलतियाँ की हमने!
खुद घबरा जाते है, जब आइना हमारा
हमें दिखता है!
देखते ही देखते, बदल जाती है ज़िन्दगी!
इन तीन पहरो में, न जाने कितनी करवटें ,
बदल जाती है ज़िन्दगी!
जो कल छूटा ,वो आज मिल न पाया!
जो आज मिला, वो दिल को न भाया!
सच में ,एक बार जो बीत गया, वो पल वो लम्हात,
दोबारा वापिस, कहाँ दे जाती है ज़िन्दगी!
- रेखा रुद्राक्षी।