प्यार न त्याग हैं, न समझौता!
प्यार वफा मांगता है!
पर हर कोई जफा कर रहा है!
बेवफ़ाई,दगा,धोखा हर रिश्ते में हो रहा है!
यहां कौन किससे वफा कर रहा है?
आंखों में अधूरी ख्वाहिशें,
और सपने पूरे होने की इल्तज़ा कर रहा है!
हर कोई पाना चाहता है ,सच्ची मोहब्बत!
पर, कौन सच्ची मोहब्बत कर रहा है!
जिसे तुमने मजबूर हालातों में
छोड़ दिया था,कुछ रिश्तों के लिए!
उसे पाने के लिए अब क्यूं तू,
हर दर पर दुआ कर रहा है?
ये किस्मत तो ताश की गड्डी हैं साहेब!
कभी हार ,तो कभी जीत का
मंजर दिखाती है!
जो वक्त पर जीत गया, उसका मुक्कदर!
वरना ये हर मोड़ पर, सब छीनती जाती है!
इसलिए जो हर हाल में, जियें आपके लिए,
उसे जाने न दो!
लाख मजबूरियां हो जिन्दगी में,
दूरियां दरमियान एक-दूजे
के कभी आने न दो!
- रेखा रुद्राक्षी।