फासला!
ज़िन्दगी में दुखों का सिलसिला, कुछ इस कदर बढ़ गया है,
जो हमारे थे,
उनसे भी ताउम्र का फासला कर गया है!
किया करते थे,
उनसे रोज़ अपने दर्दो- रंज की बाते!
दर्द दिल का, हद से ज्यादा कुछ बढ़ गया है!
वो मासूम था, उसे शायद हम समझ न पाए!
कि तेरा प्यार, मेरे दिलो- दिमाग में, किस तरह चढ़ गया है!
मजबूरियां, तेरी मुझे मालूम थी,
ए मेरे हमसफ़र!
इसलिए, तेरा साथ हर कदम पर देने से,
मेरा दिल भी डर गया है!
मुझे गम नहीं, की तू मुझे सरे आम बेवफा कहे!
तुझसे वफ़ा करके,
मेरा दिल मुझसे वफ़ा कर गया है!
आज अफसोस, सिर्फ इस बात का है!
दिन तेरी यादो में बीता और शामें आंसुओ से,
मेरा दामन भर गया है!
अब कभी, जब भी मैं,
अपनी रूह से रूबरू होती हुँ!
देखती हूँ तेरा प्यार, मेरी धड़कन, मेरी साँसों,
मेरे रूह में भी, अपना घर कर गया है!
अकेलेपन का एहसास तो है,
दिल तेरे बिन उदास तो है!
पर मुस्कुराती हूँ, ये सोचकर,
रब से किया था तेरी खुशियों का वादा!
आज इसलिए उसके दर पर, मेरा आना- जाना पहले से ज्यादा कुछ बढ़ गया है!
- रेखा रुद्राक्षी।