तेरा दिल,मेरा आशियाना हैं!
अपनी रूह में, तुमकों बसा रक्खा है!
तेरी चाह में, सबकोभुला रक्खा है!
जख्म हर दिल का, हरा रक्खा है!
दर्द से भी, दिल हमने भरा रक्खा है!
डोर हाथों में थी, जिसके अपनी,
दिल में उसको ही, हमने बसा रक्खा है!
दर्द दिल का, किसी से कह न सके!
अश्क अपना आँखों में छुपा रक्खा है!
इक जहान, ख्वाब का देकर उसको.
आशियाना दिल में,उसका बना रक्खा है!
रह गया दिल में उतर के जो बस मेरे,
सीने से उसको ही हमने लगा रक्खा है!
आँधियाँ भी न बुझा पाए जो कभी,
उसकी मोहब्बत का दिया, दिल में जला रक्खा है!
- रेखा रुद्राक्षी।