बुधवार, 13 मई 2020

दुआ में असर रखना!(कविता -संग्रह -"फड़फड़ाती उड़ान !"/कवियत्री -रेखा रुद्राक्षी !),


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दुआ में असर रखना!

लिख रहा हूँ, एक दास्तां नसीब की!
फिर रहा हूँ, हर जगह, मैं हर घड़ी!
थका हारा फिर भी,मैं बिल्कुल नहीं!
राह ऐसी कौन- सी,जिसकी मंजिल नहीं?
बस खुद पे भरोसा और विश्वास है मुझे!
यहां बिना संघर्ष के होता,
कुछ भी हासिल नहीं!
बस या रब !मेरी इल्तज़ा सुन लेना!
मेरा रूतबा,जब भी ऊँचा हों,
मेरे कदमों को,ज़मी से जुड़ा रखना!
न दुखाऊं ,दिल किसी का,
किसी वक्त में!
मेरे दिल में, सबके लिए,
ऐसी मोहब्बत रखना!
जब भी बैठूं मैं ज़मीं पर,
लोग उसे मेरा बड़प्पन समझें!
ऐसी शख्सियत और इन्सां हमेशा,
 मेरे संग रखना!
लिखूँ जब भी मैं, कोई नज़्में, 
गीत या ग़ज़ल!
उस पन्ने पर,
बस अपनी नज़र रखना!
कर रहा हूँ जिंदगी से, 
जंग जीतने की तैयारी!
बस, मेरे बढ़ते कदमों के नीचे,
कामयाबी का एक छोटा-सा, शिखर रखना!
जीत जाऊँगा एक दिन,
इसका यकीं है मुझे!
पर फिर भी, 
अपनी रहमत का असर रखना!

- रेखा रुद्राक्षी।





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