वो कुछ खास लम्हें!
उसे तो ये खबर भी नहीं,
कि हम उससे दूर जाने लगे हैं!
क्या करें, इस दिल से,
मजबूर होने लगे हैं!
उसे तो ये खबर भी नहीं,
कि हम उससे दूर जाने लगे हैं!
वो खास लम्हें, हमको सताने लगे हैं!
तुझसे मिलने के लिए, जिन लम्हों में,
सौ बहाने लगे हैं!
तुझे तकलीफ़ नहो, मेरे दूर जाने से,
इसलिए तेरे सामने, हम मुस्कराने लगे हैं!
तुझसे हर दर्द, दिल का छुपाने लगे हैं!
पता है, जब के, तेरी मंजिल और कहीं है!
तो खुद अपनी राहें जलाने लगे हैं!
उसे तो ये खबर भी नहीं,
कि हम उससे दूर जाने लगे हैं!
तुम्हें मुबारक हों, जहां की खुशियाँ!
हम रोशन चिरागों को, अपने आशियाने से,
अब बुझाने लगे हैं!
तेरी एक मुस्कराहट के लिए,
हम हर दर पर, सिर झुकाने लगे हैं!
उसे तो ये खबर भी नहीं,
कि हम उससे दूर जाने लगे हैं!
जब किस्मत को मंजूर नहीं,
हमारा मिलना?
तो क्युँ, तुझसे उम्मीद लगाने लगे हैं?
हम खुदगर्ज और बेपरवाह नहीं,
तेरी यादों के सहारे,दिन बिताने लगे हैं!
नहो मेरी वजह से,
कभी आँखें नम ये तेरी!
अपनी आँखों के आंसू, छुपाने लगे है!
सच है, के जी न सकेंगें हम,तेरे बिन!
पर तेरी सलामती, तेरी खुशी के लिए,
गम में भी डूबे हैं फिर भी,
खुशी का जशन, हम मनाने लगे है!
उसे तो ये खबर भी नहीं,
कि हम उससे दूर जाने लगे है!
- रेखा रुद्राक्षी।